दुनिया की राजनीति में एक नया मोड़ उत्पन्न हो रहा है जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तालिबान को आतंकी सूची से हटाने का प्रस्ताव किया है। इस निर्णय के पीछे के रहस्यमय और राजनीतिक उद्देश्यों की खोज में अनेक सवाल उठ रहे हैं।
अमेरिका और रूस के बीच संबंध बहुत कमजोर हैं। दोनों देशों के बीच आतंकवाद के मुद्दों पर अक्सर खींचती रही है। इस संदर्भ में, तालिबान को आतंकी सूची से हटाना पुतिन के लिए एक राजनीतिक संकेत हो सकता है।
तालिबान का नाम आतंकी सूची से हटाने का फैसला दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया है। इससे पहले, यह समूचे विश्व के सामने एक बड़ा प्रश्न उठाता है कि क्या यह एक राजनीतिक खेल है जिसमें अमेरिका के प्रतिष्ठान से खिलवाड़ किया जा रहा है?
पुतिन के इस फैसले में उनके राष्ट्रीय हित के पहले को ध्यान में रखा जा रहा है। रूस की स्थिति और अमेरिका के साथ संबंधों के संदर्भ में यह निर्णय महत्वपूर्ण है।
तालिबान के आतंकवादी सूची से हटाने का प्रस्ताव समाचार मीडिया और विश्लेषकों के बीच विवाद का केंद्र बन गया है। कई लोग इसे रूस की राजनीतिक चाल के रूप में देख रहे हैं जो अमेरिका के साथ अपने संबंधों को पुनः समायोजित करने का प्रयास है।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए, यह रूसी राष्ट्रपति के नए चुनावी दौर के दौरान एक महत्वपूर्ण कदम है। अब यह देखना होगा कि इस निर्णय का असर वैश्विक राजनीतिक मंच पर कैसा पड़ता है।