Buddha Purnima, जिसे वैसाख मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा विशेष समर्पण और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर बौद्ध धर्मी भगवान गौतम बुद्ध के जीवन और उनके उपदेशों का समर्थन करते हैं, जिसमें उनके जन्मदिन और उनके बोधि प्राप्ति (निर्वाण) के दिन का जिक्र होता है।
Buddha Purnima 2024 की तारीख और मुहूर्त:
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 22 मई 2024, शाम 6:47 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 23 मई 2024, शाम 7:22 बजे
स्नान और दान के लिए शुभ समय: 23 मई को सुबह 4:04 से 5:26 बजे
भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ समय: 23 मई को दोपहर 10:35 से 12:18 बजे1\
Buddha Purnima का महत्व:
गौतम बुद्ध, जिन्होंने नेपाल के लुम्बिनी में 563 ईसा पूर्व के आस-पास जन्म लिया था, ने एक परिवर्तनकारी यात्रा का अनुभव किया जिसमें उन्होंने अपने बोधि प्राप्ति की, जिसे निर्वाण कहा जाता है। उन्होंने अपने पिता के शासन के तहत कपिलवस्तु राज्य में पला बढ़ावा पाया और बोध गया, बिहार में एक बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान में जाकर उन्होंने बोधि प्राप्त की।
Buddha Purnima के दिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लिया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन उपासक-उपासिकाएं बुद्ध विहारों में भिक्खुओं के लिए भोजन दान करते हैं और उनके लिए मोमबत्तियां तथा फूल ले जाते हैं। बदलें में भिक्खु उन्हे ध्यान करातें हैं, भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को बतातें हैं। सभी लोग इस दिन को खूब धूमधाम और खुशी-खुशी मनातें हैं।
Buddha Purnima के महत्व की समझ को बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों को इस पर्व पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस दिन उपासक-उपासिकाएं मिष्ठान के साथ अन्य पकवान बनाते हैं, जिनमें खीर प्रमुख होता है। यानि सभी बौद्धों के घर “खीर” जरूर पकाई जाती है। लोग एक-दूसरे को मंगलकामनाएं देते हैं, उपहार भेजते हैं तथा असहाय, निर्धन, गरीबों को क्षमतानुसार आवश्यक चीजों का दान जरूर करते हैं।
Buddha Purnima, भगवान बुद्ध के जन्म की खुशी और उनकी शिक्षाओं का सम्मान करने के लिए मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है। यह पूर्णिमा वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो इस वर्ष 5 मई को हो रही है।
Buddha Purnima के दिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लिया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन उपासक-उपासिकाएं बुद्ध विहारों में भिक्खुओं के लिए भोजन दान करते हैं और उनके लिए मोमबत्तियां तथा फूल ले जाते हैं। बदलें में भिक्खु उन्हे ध्यान करातें हैं, भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को बतातें हैं। सभी लोग इस दिन को खूब धूमधाम और खुशी-खुशी मनातें हैं।
Buddha Purnima के महत्व की समझ को बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों को इस पर्व पर निबंध लिखने को दिया जाता है। इस दिन उपासक-उपासिकाएं मिष्ठान के साथ अन्य पकवान बनाते हैं, जिनमें खीर प्रमुख होता है। यानि सभी बौद्धों के घर “खीर” जरूर पकाई जाती है। लोग एक-दूसरे को मंगलकामनाएं देते हैं, उपहार भेजते हैं तथा असहाय, निर्धन, गरीबों को क्षमतानुसार आवश्यक चीजों का दान जरूर करते हैं।